कन्नौज मे प्रसिद्ध देवी माँ अन्नपूर्णा मंदिर द्धार से प्रवेश करते ही वरदानी माँ की अद्भुत छटा का ऐतिहासिक स्वरूप का दर्शन

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कन्नौज मे प्रसिद्ध देवी माँ अन्नपूर्णा मंदिर द्धार से प्रवेश करते ही वरदानी माँ की अद्भुत छटा का ऐतिहासिक स्वरूप का दर्शन
उत्तर प्रदेश के जनपद कन्नौज से प्राप्त जानकारी के अनुसार सैकड़ों वर्ष पहले राजा प्रथम सिंह के यहाँ पहले से मौजूद शीला माँ के स्वरूप की थी माँ अन्नपूर्णा देवी जी | राजा को स्वप्न हुआ हमारी स्थापना कराओ राजा ने कुछ कहा कि आप कहीं दूसरी जगह स्थापित हो जाओ | राजा को फटकार लगाते हुए कहा कि तुम्हारा राज्य पर देवी संकट आ जायेगा यदि स्थापना ना कराई |
राजा ने अन्न-फन्न मे उत्तर प्रदेश के जनपद बनारस से पांडवों को बुलाकर जानकारी बताई और सिद्ध माँ की मूर्ति लाई गई और उसी का वहां पर जीर्णो द्धार मंदिर के रूप में करवाया गया | इसी पर वरदान के प्रभाव ने राजा प्रीतम सिंह के राजा दुर्गा नारायण सिंह जूदेव के रूप में पुत्र हुए प्राप्त हुए | देवी माँ के प्रभाव से राज्य में दो पुत्रों का जन्म हुआ था और राज्य खुशी के साथ-साथ संपन्न होता आया है | यह माँ सिद्ध देवी के रूप में आज भी स्थापित अपने मंदिर पर विराजमान और उनकी सेवा में पंचवटी के नाम से पांच अन्य देवियों की भी मंदिर पर स्थापना की गई थी|
“आज भी बुंदेलखंड के भक्त एवं अन्य बहुत सी जगह के भक्त यहां से एक मुट्ठी मिट्टी ले जाते है | और अपने खेतों में फैला कर दोगुनी कृषि की उपज करते है | आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन आकर इसका प्रभाव आपको वरदान स्वरूप अवश्य मिलेगा | इसमें कोई संशय नही है | क्योंकि सिद्ध पीठ माँ का सच्चा दरबार है”
बनारस से आए पांडवो को राजा ने बहुत जमीन दान की थी | पांड्वो ने उसे कुछ हाल के दिनों मे यह जमीन बेचकर अपने घर वापस चले गए थे |
यह किसी से छिपा नहीं देवी माँ का वरदान शाश्वत और निरंतर बना हुआ है| आज भी श्रद्धा बान भक्तों को लाभ देता आ रहा है | जो किसी से छिपा नही है भक्त मानते है श्रद्धा भाव चाहिए देवी माँ के लिए |
वर्ल्ड न्यूज़ 24 संपादक रघुराज सिंह चौहान की रिपोर्ट

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