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कन्नौज कृषि रक्षा अधिकारी अविशांक सिंह चौहान ने धान फसल सुरक्षा व पराली खेतों में ना जलाऐ किसानो की फसल सुरक्षा की कमान किसानों के साथ 

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कन्नौज कृषि रक्षा अधिकारी अविशांक सिंह चौहान ने धान फसल सुरक्षा व पराली खेतों में ना जलाऐ किसानो की फसल सुरक्षा की कमान किसानों के साथ 

कन्नौज बदलते मौसम में धान की फसल की सुरक्षा हेतु एडवाइजरी जारी की किसान भाइयों जैसा कि आप सभी को ज्ञात है की मौसम में अब ठंड बढ़ाना शुरू हो गई है और मौसम में बदलाव होना शुरू हुआ है इस समय हमारी खरीफ की मुख्य फसल धान खेतों में लगभग पककर तैयार होने को है ।

अतः ऐसी अवस्था में फसल को मौसम जनित किट और रोगों से बचाए रखना बहुत आवश्यक हो जाता है क्योंकि ऐसा न करने पर फसल उत्पादन प्रभावित हो सकता है इसके बचाव हेतु जिला कृषि रक्षा अधिकारी श्री अविशांक सिंह चौहान के द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है जिसमें इस समय धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट और रोगों के विषय में जागरूक किया गया है ।
प्रमुख कीट
भूरा फुदका… यह एक रस चषक किट है जो की धान की पत्तियों व बालियो का रस चूस कर फसल उत्पादकता में कमी लाता है इसके प्रकोप से फसल मात्र तीन से चार दिनों में नष्ट हो जाती है यह कीट पुराना अवस्था में भुरे पंख युक्त जबकि शिशु किट भूरे रंग का पंख विहीन होता है इस कीट की रोकथाम हेतु Bifinethrin 10 %EC की 0.8 ग्राम प्रति लीटर पानी अथवा Thiomethoxom 25% SG की 200 से ढाई सौ ग्राम मात्रा 400 से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़क दें यही छिड़काव 3 से 4 दिन बाद दोबारा करें ।

2.. पत्ति लपेटक कीट.. यह संदीप पति के दोनों सिरों को मुड़कर नालीदार संरचना बना देती है जिसमें यह रहकर के पति को खुराज कर खाती रहती है इसके नियंत्रण हेतु Qunolphos 25% EC की 1.25 लीटर मात्रा 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें
3.. दीमक एवं जड़ की सुंडी कीट… इसके नियंत्रण हेतु Chlorpyriphos 20% EC ढाई लीटर मात्रा सिंचाई के पानी के साथ मिलाकर प्रयोग करें ।

प्रमुख रोग… श्री चौहान ने बताया कि इस समय धान की फसल में निम्न रोग संभव हैं
1.. खैरा रोग इस रोग में पत्तियां पीली पड़ जाती हैं जिस पर बाद में कत्थई रंग के धब्बे पड़ जाते हैं जिसका कारण जिंक तत्व की कमी है इस रोग के नियंत्रण हेतु जिंक सल्फेट 21% की 5 किलोग्राम मात्र 20 किलोग्राम यूरिया के साथ 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने पर राहत मिलती है
2.. जीवाणु झुलसा .. इस रोग में पत्तियों की नोक अथवा किनारे सूखने लगते हैं और सुख किनारे अनियमित अथवा टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं इस रोग के लक्षण देखने पर 500 ग्राम कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50%wp को प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें ।
श्री चौहान ने यह भी बताया कि किसी भी कीट या रोग का प्रकोप होने पर जनपद के प्रत्येक विकासखंड पर तकनीकी अधिकारियों से सलाह लें इसके अतिरिक्त विभाग के निशुल्क व्हाट्सएप नंबर 9452247111 तथा 94522 57111 पर फसल की फोटो खींचकर अपने नाम व पता लिख करके भेज दें तो आपके घर बैठे ही अपनी समस्या का निदान प्राप्त हो सकेगा  ।

जनपद के प्रत्येक विकासखंड की कृषि रक्षा इकाइयों पर बायो पेस्टिसाइड जैसे ट्रिकोडरमा तथा बावरिया बस्सियाना अनुदान के द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे हैं जो की आलू फसल के लिए बहुत ही लाभप्रद है सभी किसान भाई आवश्यक उपयोग करें ।

वर्ल्ड न्यूज 24 संपादक रघुराज सिंह चौहान की रिपोर्ट

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